द्रव क्रिस्टल प्रादर्शी


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द्रव क्रिस्टल प्रादर्शी ('लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले', लघुरूप : LCD) एक प्रकार का डिस्प्ले (प्रादर्शी) है जो टेक्स्ट, छबि, विडियो आदि को एलेक्ट्रानिक विधि से प्रदर्शित करने के काम आता है। यह स्वयं कोई प्रकाश उत्पन्न नहीं करता बल्कि किसी दूसरे स्रोत से असके उपर पड़ने वाले प्रकाश को मॉडुलेट करता है।

एलसीडी घड़ी
द्रव क्रिस्टल प्रादर्शी के विभिन्न स्तर

द्रव क्रिस्टल प्रादर्शी, द्रव क्रिस्टलों के विभिन्न आकृति वाले मूल अवयवों (एलिमेन्ट्स) से बना होता है। वाह्य विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में ये द्रव क्रिस्टल अपना झुकाव (ओरिएण्टेशन) बदल देते हैं। इन क्रिस्टलों का ओरिएण्टेशन बदलने से इन पर पड़ने वाले प्रकाश के ध्रुवण भी बदलता है। जो उस क्रिस्टल-एलिमेन्ट की दृश्यता/अदृष्यता का निर्धारण करता है।

इसी से ही कम्प्यूटर के मॉनिटर, टीवी, उपकरणों के पैनेल, तथा सामान्य जनजीवन में प्रयुक्त उपभोक्ता बस्तुओं (जैसे कैलकुलेटर, कलाई की घड़ियाँ आदि) के डिस्प्ले बनते हैं। हल्का होना, पोर्टेबल होना, कम बिजली से चलना, बड़ी आकृति में भी निर्माण में आसानी आदि इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं।

वस्तुत: यह एक "एलेक्ट्रानिक रीति से परिवर्तनीय प्रकाशीय युक्ति" (electronically-modulated optical device) है जो अनेकानेक एलिमेन्ट्स/पिक्सलों (pixels) से बनी होती है जिनमें द्रव क्रिस्टल से भरे होते हैं।

  • 1888: फ्रेड्रिक रेनित्जर (Friedrich Reinitzer (1858–1927)) ने गाजर से प्राप्त कोलेस्ट्रॉल के द्रव क्रिस्टलीय प्रकृति का पता लगाया। 888)).[4]
  • 1904: ओटो लेहमान (Otto Lehmann) ने 'द्रव क्रिस्टल' (Flüssige Kristalle) नामक पुस्तक प्रकाशित की।
  • 1927: वी फ्रेड्रिक्स (Vsevolod Frederiks) ने विद्युत से चालू-बन्द होने वाले प्रकाश वाल्व का विकास किया जो सभी एलसीडी प्रौद्योगिकी का मूल है।
  • 1962: आरसीए के रिचर्ड्स विलियम्स (Richard Williams) ने पाया कि द्रव क्रिस्टलों में कुछ रोचक विद्युत-प्रकाशीय गुण हैं।
  • एलसीडी कॉम्पैक्ट, पतले और हल्के होते हैं।
  • एलसीडी कम बिजली का उपयोग करते हैं।
  • एलसीडी कम गर्मी उत्सर्जित करते हैं।
  • एलसीडी किसी भी आकार में बनाया जा सकता है।
  • एलसीडी को संकीर्ण फ्रेम बॉर्डर के साथ बनाया जा सकता है, इस प्रकार इसे एक बड़े एलसीडी की तरह दिखने के लिए कई एलसीडी को एक साथ रखा जा सकता है।
  • जब उच्च और निम्न तापमान पर उपयोग किया जाता है, जब बड़े कोणों से देखा जाता है और जब अंधेरा प्रदर्शित होता है तो एलसीडी में समस्याएँ होती हैं।